कश्मीर में हुई हत्याओं के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है। कूटनीतिक स्तर पर टकराव और प्रतिक्रिया शुरू हो गई है। इस स्थिति में मोदी सरकार ने विभिन्न देशों के राजनयिकों के साथ बैठक की।
भारत ने कश्मीर में हुई हत्याओं के संबंध में विभिन्न देशों के राजनयिकों से बातचीत की। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और विभिन्न यूरोपीय संघ के देशों के राजनयिकों के साथ बैठक की। गौरतलब है कि इस बैठक में चीनी राजनयिक भी मौजूद थे। विदेश मंत्रालय के निमंत्रण पर भारत के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले कनाडा का एक प्रतिनिधि भी बैठक में उपस्थित था। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, बैठक में कम से कम 20 देशों के राजनयिक उपस्थित थे।
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को विदेशी राजनयिकों के समक्ष जम्मू एवं कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा नागरिकों की नृशंस हत्या का मुद्दा उठाया। बैठक में आतंकवाद के विरुद्ध भारत की ‘शून्य सहनशीलता’ (कोई रियायत नहीं) की नीति पर भी चर्चा हुई। दरअसल, पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ या टीआरएफ ने कश्मीर में हुई हत्याओं की जिम्मेदारी ली है। कुछ मीडिया संस्थानों ने यह भी बताया कि इस हमले में पाकिस्तान के कई आतंकवादी शामिल थे। इस स्थिति में, कश्मीर में हुई हत्याओं को लेकर भारत-पाकिस्तान के कूटनीतिक संबंध और भी बिगड़ने लगे हैं।
भारत सरकार ने बुधवार को नई दिल्ली में कई बैठकों के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए। 1960 की सिंधु जल संधि निलंबित कर दी गयी। अटारी सीमा पर भारत की ‘एकीकृत चेक पोस्ट’ भी बंद कर दी गई है। जो लोग वैध दस्तावेजों के साथ इस देश में आए हैं, उन्हें 1 मई तक उसी रास्ते से भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। पाकिस्तानियों के लिए सार्क वीजा भी रद्द कर दिया गया है। भारत ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के रक्षा अधिकारियों को ‘अनिवासी’ घोषित कर दिया है। उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है।
इसके बाद पाकिस्तान ने गुरुवार दोपहर को कई जवाबी कदम उठाए। इस्लामाबाद ने भारतीय एयरलाइनों के पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही, उन्होंने भारत के साथ सभी प्रकार का व्यापार बंद करने का निर्णय लिया है। इस्लामाबाद ने कहा है कि पाकिस्तान की ओर पानी के प्रवाह को रोकने के किसी भी प्रयास को युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखा जाएगा। बयान में पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसे शिमला समझौते सहित भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने का भी अधिकार है। इस द्विपक्षीय तनाव के बीच विदेश मंत्रालय ने गुरुवार दोपहर विभिन्न देशों के राजनयिकों को चर्चा के लिए बुलाया।